
एक घने जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। उसका नाम था नीति। नीति अपनी चालाकी और बुद्धिमानी के लिए पूरे जंगल में मशहूर थी। जानवर उससे मुश्किल समस्याओं का हल पूछते, और वह हमेशा कोई न कोई तरकीब सूझा देती।
एक बार जंगल में भयंकर सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, तालाबों की तली दरक गई। जानवर प्यास से तड़पने लगे। सबने मिलकर नीति से मदद माँगी। लोमड़ी ने सोचा, “पानी तो दूर बहती नदी में है, पर वहाँ तक पहुँचना खतरनाक है। रास्ते में शेर का ठिकाना है।”

उसने एक योजना बनाई। जंगल के बाहर एक गाँव था, जहाँ किसानों के खेतों में हरा-भरा साग-सब्ज़ी उगती थी। नीति वहाँ पहुँची और एक खेत में छुपकर देखा: किसान के बेटे ने ताज़ा दूध का कटोरा पेड़ के नीचे रखा था। लोमड़ी ने चुपके से कटोरा उठाया और भागी। गाँव के कुत्ते उसके पीछे लग गए।
नीति जंगल की ओर भागी। जैसे ही वह शेर की गुफा के पास पहुँची, उसने कटोरा ज़मीन पर गिरा दिया। दूध बिखर गया। कुत्तों ने शेर की गुफा का रुख किया। शेर गुस्से में बाहर आया और कुत्तों पर झपटा। कुत्ते डरकर भागे। शेर भी उनके पीछे भागा। नीति ने मौका देखा और शेर की गुफा में छुपे पानी के मटकों को अपने साथियों तक पहुँचाया। जानवरों ने पानी पिया और नीति की जय-जयकार की।https://hindistory.tech/
कुछ दिन बाद जंगल में एक नया संकट आया। एक बड़ा और डरावना भालू आ गया। उसने जानवरों को धमकाया, “रोज़ एक जानवर मेरा भोजन बनेगा!” सब डर गए। फिर नीति को याद आया: भालू शहद के लिए पागल रहता है। उसने जंगल के छत्ते से शहद लाकर भालू की गुफा के पास एक गड्ढे में रख दिया। भालू ने सुगंध सूँघी तो लपका। गड्ढे में गिरकर फँस गया। नीति ने कहा, “शहद खाओ, पर जंगल छोड़ दो!” भालू मान गया और चला गया।
एक बार की बात है, जंगल में एक बूढ़ा कछुआ आया। उसने सबको बताया कि दूर पहाड़ों पर अमरूदों का बगीचा है। जानवर लालच में वहाँ जाने को तैयार हुए, पर रास्ता खतरों से भरा था। नीति ने कहा, “मैं पहले जाकर देखती हूँ।”
पहाड़ों पर पहुँचकर उसने देखा: बगीचा तो था, पर उसे एक लालची बंदर ने घेर रखा था। बंदर ने शर्त रखी, “जो मुझे चतुराई से हरा देगा, उसे अमरूद मिलेंगे।” नीति बोली, “तुम्हें पहेली सुलझानी होगी: वह क्या है जो सुबह चार पैरों पर चलता है, दोपहर को दो पर, और शाम को तीन पर?” बंदर सोच में पड़ गया। नीति हँसी, “ये तो इंसान की उम्र है! बचपन, जवानी और बुढ़ापा।” बंदर हार मान गया। नीति अमरूद लेकर लौटी और जानवरों में बाँट दिए।
जंगल के राजा शेर ने नीति की बुद्धिमानी देखकर उसे अपना मंत्री बना लिया। अब नीति जंगल का न्याय करती। एक बार खरगोश और लोमड़ी में झगड़ा हुआ। खरगोश ने कहा, “इसने मेरी गाजरें चुराईं!” लोमड़ी बोली, “मैं तो बस उन्हें सँभाल रही थी।” नीति ने दोनों को एक अंधेरी गुफा में भेजा और कहा, “जो सच बोलेगा, उसके हाथ में जादू की रोशनी आ जाएगी।” झूठी लोमड़ी डर गई और सच उगल दिया।
समय बीता। एक दिन जंगल में आग लग गई। सब भागने लगे, पर नीति ने सभी को इकट्ठा किया। उसने गिलहरियों से कहा, “तुम तेज़ दौड़कर नदी से पानी लाओ!” खरगोशों से कहा, “गीली मिट्टी से आग का रास्ता रोको!” और बंदरों से कहा, “पेड़ों की डालियाँ हिलाकर आग बुझाओ!” सबने मिलकर आग पर काबू पाया। नीति की अगुआई में जंगल बच गया।
जंगल के जानवरों ने नीति को “ज्ञानी माता” का खिताब दिया। वह सिर्फ चतुर ही नहीं, बल्कि दयालु और न्यायप्रिय थी। उसकी कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जाती हैं। आज भी जब जंगल में कोई मुसीबत आती है, तो सब कहते हैं—”नीति जैसी चतुराई हमें बचाएगी!”
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों को कहानी के आधार पर सही शब्दों से भरें:
अभ्यास: रिक्त स्थान भरें
- जंगल में रहने वाली लोमड़ी का नाम ______ था।
- सूखे के दौरान नीति ने गाँव से ______ का कटोरा चुराया।
- उसने कुत्तों को ______ से लड़वाया ताकि पानी चुरा सके।
- भालू को फँसाने के लिए नीति ने ______ का इस्तेमाल किया।
- भालू ______ में फँस गया और जंगल छोड़ने पर मजबूर हुआ।
- अमरूद पाने के लिए नीति ने बंदर को एक ______ सुनाई।
- पहाड़ों पर अमरूदों का बगीचा ______ ने घेर रखा था।
- जंगल में लगी ______ को सभी जानवरों ने मिलकर बुझाया।
- आग बुझाने के लिए नीति ने ______ को नदी से पानी लाने को कहा।
- शेर ने नीति को अपना मंत्री बनाकर जंगल का ______ सौंपा