सब्र प्रेरणादायक कहानी Sabra Prernadayak Kahani

Sabra-Prernadayak-Kahan

 

कहानी की शुरुआत:

गाँव की पगडंडियों पर धूप की किरणें नाच रही थीं, और हवा में सरसों के खेतों की मिठास घुली हुई थी। ऐसे ही एक छोटे से गाँव सुखपुर में रहता था नन्हा राजू। राजू अपनी दादी माँ के साथ एक मिट्टी के घर में रहता था। पिता का साया बचपन में ही उठ जाने के कारण उसकी सारी दुनिया उसकी दादी और उनके किस्से-कहानियाँ थीं।

समस्या का आगमन:

एक दिन, स्कूल से लौटते हुए राजू ने देखा कि उसके सभी दोस्तों के पास नए खिलौने और कपड़े हैं। उसका मन उदास हो गया। वह दौड़कर घर पहुँचा और दादी माँ से बोला, “दादी, मैं भी नया जूता चाहता हूँ! सबके पास सब कुछ है, बस मेरे पास कुछ नहीं।”Link

दादी माँ ने अपने चेहरे पर ममतामयी मुस्कान बिखेरते हुए कहा, “बेटा, ज़िंदगी में चीज़े पाने के लिए सब्र करना पड़ता है। जल्दबाज़ी तो अधूरे कामों की जननी होती है।” पर राजू के समझ में कुछ नहीं आया। वह रोने लगा और ज़िद पकड़ ली।

ज्ञान की बूँदें:

अगले दिन, दादी माँ ने राजू को अपने साथ बगीचे में ले गईं। उन्होंने एक आम का बीज उसे देते हुए कहा, “इसे ज़मीन में बोओ और रोज़ पानी दो।” राजू ने बीज बो दिया, लेकिन दो दिन बाद ही उसका धैर्य जवाब दे गया। वह चिल्लाया, “दादी, यह तो अभी तक अंकुरित भी नहीं हुआ!”

दादी माँ ने उसे गोद में बिठाते हुए समझाया, “पेड़ बनने में सालों लगते हैं, राजू। ऐसे ही तुम्हारी मेहनत भी एक दिन फल देगी लेकिन उसे वक्त देना होगा।”

मोड़ पर कहानी:

राजू ने दादी की बात मान ली। उसने स्कूल में मन लगाकर पढ़ाई शुरू की और घर के कामों में दादी की मदद करने लगा। महीनों बाद, जब वह आम के पेड़ के पास गया, तो एक छोटा सा अंकुर ज़मीन से बाहर झाँक रहा था! उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

समापन और सीख:

साल बीत गए। आम का पेड़ फलों से लद गया, और राजू गाँव का पहला लड़का बना जिसने शहर की प्रतियोगिता में इनाम जीता। उस दिन दादी माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा, “देखा बेटा, सब्र और मेहनत का फल मीठा होता है।”

कहानी की सीख:

यह कहानी हमें सिखाती है कि ज़िंदगी में हर चीज़ का सही वक्त होता है। जल्दबाज़ी और ईर्ष्या की जगह मेहनत और सब्र ही सफलता की चाबी हैं।

Sabra Prernadayak Kahani

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